Sunday, January 20, 2013

Most Urgent

Most Urgent: Women police of Varanasi in India is behaving very patriarchal and violating the all procedure of Domestic violence Act.Today Neelam came to women cell of Varanasi police for statement.Women police called her husband and told forcefully go with husband.Where is rule of law? This is a way to decrease the crime against women.Please send an solidarity email or call at uppcc-up@nic.in and covdnhrc@nic.in (Mobile number:+919810298900).She is looking for justice but the Indian patriarchy with nexus with corrupt police system is failing to save her. http://www.petition-nhrc.blogspot.in/2013/01/fwd-0.html

It is very shameful that one side all the people of country are talking that women are not an object and other hand some people are clamining that women is their personal property and nobody has right to interfere in family matter. shame ! shame ! shame ! shame !

For more information about case: 
http://www.pvchr.net/2012/12/my-unheard-pain.html


Statement of Sapana:

मैं सपना चैरसिया पत्नी सुनील गुप्ता पुत्र कन्हैया गुप्ता, निवासी- B24/151, कश्मीरी गंज, राम मंदिर, खोजवां, थाना-भेलूपुर, वाराणसी के विरूद्ध मुझे शारीरिक और मानसिक प्रताडि़त करने की मय हलफनामा शिकायत मानवाधिकार जननिगरानी समिति के सहयोग से 03 दिस0, 05 दिस0 पुनः 20 दिस0 को श्रीमान् वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, श्रीमान् पुलिस महानिरीक्षक, श्रीमान् पुलिस महानिदेशक एवं श्रीमान् अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली को की। जिसके बाद महिला प्रकोष्ठ वाराणसी (कचहरी परिसर) के द्वारा मुझे अपना बयान देने के लिए बुलाया गया, जिस पर मैं दिनांक 19 जनवरी, 2013 को 10:00 बजे सुबह बयान देने पहुँची। वहाँ उपस्थित महिला पुलिस अधिकारियों के द्वारा मेरा बयान लेने के पूर्व मेरा स्वेटर उतरवाकर मेरे पूरे शरीर को जगह-जगह पर छू कर देखीं और पूछी कि तुम कोई मोबाइल तो नही रखी हो, कहीं सब कुछ रिकार्ड तो नही करोगी। स्वेटर उतरवाकर देखने के बाद जब वे सन्तुष्ट हो गयी कि मेरे पास कोई मोबाइल वगैरह तो नही है तब कुछ सवालों के उत्तर देने के बाद वे मेरे पर दबाव बनाने लगीं कि तुम अपने पति के घर आज ही वापस चली जाओं। मैंने साफ मना कर दिया कि मैं उनके साथ नही रह सकती तो वे मुझे बच्चें का वास्ता देने लगी कि तुम्हें अपने बच्चे का मुँह देखना चाहिये, कैसी माँ हो ? पत्थर दिल तुम दुनिया की पहली ऐसी माँ हो जो अपने बच्चें की खातिर भी पति के साथ नही रहना चाहती हो। तुमसे हम लोग हाथ जोड़कर विनती कर रहे है, अपने पति के साथ चली जाओं। फिर मेरे पति को भी जो बाहर उनके बुलाने पर आये थे उन्हें भी अन्दर कमरे में बुला लिया, मुझसे कहा कि तुम दोनो बात कर लो, मैने साफ मना कर दिया कि मुझे कोई बात नही करना है। उसके बाद मेरा पति उनके सामने ही कहे कि तुमने बहुत सी गल्तियां की है मैं तुम्हें माँफ करने को तैयार हूँ, तुम मेरे साथ घर चलो।

मैं इस पूरे बयान लेने की प्रक्रिया से बहुत दुःखी हूँ। 03 दिस0, 05 दिस0 पुनः 20 दिस0 को पंजीकृत डाक से मैने बार-बार शिकायत कि मुझे मेरे पति से जान का खतरा है, बजाय मेरे इस समस्या पर बात करने के उल्टे मुझे उसके साथ ही भेजने के लिए महिला प्रकोष्ठ द्वारा दबाव बनाया जाने लगा।

मैं बहुत दुःखी एवं चिंतित हूँ कि महिला प्रकोष्ठ महिलाओं की मदद करता है या हिंसा और यातना की शिकार महिलाओं को न्याय दिलाने के बजाय उनके पति की तरफ से पैरवी करके अन्याय और शोषण को जारी रखने के लिए कार्य करता है। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि महिला प्रकोष्ठ की मेरे पति से मिली भगत है, ऐसे में मुझे संरक्षण और न्याय कैसे मिलेगा ? जबकि मैं किसी तरह अपने पति से जान बचाकर गुप्त स्थानों पर छुप-छुपकर जीने को मजबूर हूँ।