Tuesday, January 31, 2012
NHRC recommends Rs. 25,000/- each as monetary relief to three convicts, victim of inhuman treatment in prison in UP
Monday, January 23, 2012
चुनाव के बहाने राजनैतिक दलों व जनता से कुछ खरी-खरी
चुनाव आ गया है। वादे शुरू हो गये। चुनाव के बाद सरकार बनने वाली हैं। जो मानवाधिकार, कानून के राज व लोकतंत्र का नाम लेकर उसी का गला घोट देगी। मुद्दों को उठाने में कई पार्टिया एवं संगठन भ्रष्टाचार दिखा रही हैं। मानवाधिकार, कानून का राज व लोकतंत्र तब तक नही बचाया जा सकता है या फिर भ्रष्टाचार खत्म नही किया जा सकता है, जब तक वंचित तबके, अल्पसंख्यक व हाँसिये पर रह रहे लोगों का अधिकार न बचाया जाय और उसके लिए कानून व लागू करने वाला सक्रिय संस्थाओं को स्थापित न किया जाय।
मैला उठाने वाले समाज के लिए तीन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोगों का गठन किया गया, किन्तु आज तक संसद के पटल पर एक भी आयोग की रपट नही रखी गयी। वही दलितों की मसीहा ने उत्तर प्रदेश में मैला उठाने वाले लोगों की योजना लागू करने की गारण्टी लेने से मना कर दिया, जिससे केन्द्र से आने वाली करोड़ों रूपये की योजना बन्द हो गयी। मुसहर व मैला ढ़ोने वाले लोग अब लोगों के एजेण्डे पर नही हैं, क्योकि इस तबके के लोग बहुत ही कम संख्या में शासन, प्रशासन, मीडिया, सांसद व विधायिका में है।
कानून के राज की स्थिति इतनी खराब है कि पुलिस की जगह लोग असलहे खरीद रहे है या माफियाओं को 'राबिनहुड'की तरह से गले लगा रहे है। 2009 के बाद 9 हजार से करीब 15 हजार असलहों का लाइसेंस हो गया बनारस में। गाँधी व महात्मा बुद्ध एवं डा0 अम्बेडकर के अहिंसा की दुहाई देकर दुनिया में नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले भारत को मानवाधिकार लागू करने एवं पुलिस यातना के खिलाफ कानून बनाने में डर लगता है।
बनारस के बुनकरों को छः हजार करोड़ का पैकेज मिला और आधा पैसा कापरेटिव के लिए हैं। कापरेटिव कितना ईमानदार है ? पैसा किनकी जेब में जायेगा, ये तो बुनकर तय करे ? किन्तु हैण्डलूम (हथकरघा) बुनकरों के बिजली बिल कब माफ होगी। बुनकरों के नाम पर गद्दीदारों को ही कब तक फायदा पहुचाया जायेगा ? सीधे बाजार से जोड़ने की योजना क्यो नही चली ??
मुरादाबाद, बरेली व मेरठ में मुसलमानों पर सीधे हमले हुए किन्तु राजनैतिक पार्टियाँ चुप है, क्यों ? मेरठ में ईनाम की बेटी आधी जल गयी, सहसपुर में एक बच्चा करा एवं वाराणसी के बजरडीहा में दो मुसलमान बच्चों को पुलिस ने गोली मार दी। गोरखपुर के इलाके में हिन्दूवाद के नाम पर एक फासीवादी व्यक्ति की गुण्डागर्दी चल रही हैं। किन्तु सभी चुप है और मुसलमानों के बीच की साम्प्रदायिक ताकते ''मुसलमानों का सवाल मुसलमान उठायेगा" (ऐसा बुनकरों की बैठक में मेरे साथ भी हुआ) कहकर असली लड़ाई को भटकाकर साम्प्रदायिक फासीवाद (हिन्दू फासीवाद) को मजबूत कर रहा है। मुसलमानों को रंगनाथ मिश्रा कमेटी की सिफारिश के आधार पर शासन एवं सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर न्याय दिया जाय!!
जब हमारा विचार ही भ्रष्ट (साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक फासीवाद, जातिवाद, पितृ सत्तात्मक) है तो हम विचार से पैदा होने वाले आचार (भ्रष्टाचार) को कैसे रोक सकते है ? इसलिए जनता व राजनैतिक दल मजबूत भारत के लिए अल्पसंख्यको, वंचितों व हाशियें पर खड़े लोगों के लिए खड़ा हो। औरतों व अल्पसंख्यकों को आरक्षण देकर सभी की भागीदारी सुनिश्चित करे, कानून के राज के लिए पुलिस यातना विरोधी कानून लागू किया जाय, फर्जी पुलिस मुठभेड़ रोकी जाय। तभी हम कानून का राज व लोकतंत्र स्थापित कर सकते हैं। साथ ही उ0प्र0 की जनता से अपील है कि वे भारत के अन्य क्षेत्र के मुद्दों पर भी राजनैतिक दलों से सवाल उठाये। जिससे एक नये राष्ट्र-राज्य (नेशन-स्टेट) का निर्माण किया जा सके, जो धर्म निरपेक्षता, समता, बंधुत्व, अहिंसा पर आधारित हो।
भवदीय
(डा0 लेनिन)
महासचिव
2007 ग्वांजू पुरस्कार
2008 आचा पीस स्टार अवार्ड
2010 वाइमर ह्यूमन राइट्स पुरस्कार
पता.सा0 4/2ए, दौलतपुर,
वाराणसी-221002 (उ0प्र0)
मो0नं0-09935599333
E-mail: lenin@pvchr.asia
Web Site: www.pvchr.asia, www.pvchr.net
Sunday, January 15, 2012
दलित गर्भवती महिला पर पुलिस का तांडव
पुलिस के पिटाई व घसीटने के कारण गर्भवती दलित महिला का प्रसव हुआ महिला के अचेत बच्चे की भी हालत नाजुक बनी हुई है। महिला के साथ दलित घसिया आदिवासी बस्ती के लगभग दो दर्जन महिलाओ,बच्चों और पुरूषॊ की पुलिस द्वारा पिटाई।आजादी के इतने वर्ष बितने के बावजुद आज भी हमारे देश के दलितों की हालत गुलामों की तरह ही है भले ही उत्तर प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री का राज रहा हो। या तो लोकतंत्र में दलितो से वोट बैंक बनाने के लिए उनका उपयोग किया गया है या तो उन्हें सामाज में हथियार बनाकर अपनी रोटी सेकी गयी है।
ऐसा ही एक घटना जो दलितो के उपर पुलिस तांडव के उपर आधारीत है आपके सामने रखना चाहता हू। उत्तर प्रदेष के अति पीछड़े जिले सोनभद्र के जिला मुख्यालय से सटे गाव रौप घसीया बस्ती में 9 जनवरी 2012 का दिन बस्ती वालों के लिए पुलिस द्वारा ढाए गए कहर का दिन रहा। चुनाव आचार संहिता के दौरान इस दिन पुलिस वाले बस्ती में अपराधियों की दबीस के लिए बस्ती में घुसे और बस्ती में ललकारना शुरू किए और घरो में से आदिवाशीयों को बाहर निकालकर अपना तांडव मचाना शुरू कर दिए पुलिस वालों के लिए शर्म कि बात यह है कि एक गर्भवती महिला जो अपने प्रशव पीड़ा के दर्द से कराह रही थी उस दूलारी उम्र32 वर्श को भी पुलिस वालों नें बेरहमी से पीटकर घसिटना शुरू कर दिया इसी दौरान दूलारी का प्रशव हो गया और वह अचेत हो गई और दूलारी का नवजात शीशु धुल और मिट्रटी में तड़पने लगा फिर भी पुलिस वालो को दया नही आयी और पुलिस वाले दूलारी के पति रामसुरत को भी पत्नी के प्रशव के बावजुद भी मारपीट कर थाने ले गयी।
इतना ही नही प्रशव के बाद जब बस्ती के लोगो ने पुलिस का विरोध किया तो बस्ती के महिलाओ ,बच्चों और बृद्वो को दौड़ा दौड़ा कर बुरी तरह से पिटा जिसके दौरान बिलासीपत्नीस्वचरक,40वर्श,राजकुमार पुत्र होलसाल,30वर्श,फुलचन्द्र पुत्र हृतलाल,35वर्श,हंशु पुत्र बुझावन,32वर्श,चमेली पत्नी बबुन्दर,26वर्श,सुरतीया पत्नी संतोश,25वर्श,सुरतीया पत्नी षिवकुमार,30वर्श,विजय पुत्र नरेष,22वर्श,फुलकुवारी पत्नी गजाधर,50वर्श,प्रतापी पत्नी नन्दलाल,20 वर्श ,सोमारू पुत्र रामभरोस,32वर्श,तेतरी पत्नी बच्चे,32वर्श,ऐनवा पत्नी मुरत,32वर्श,रूकमनी पत्नी हंषलाल,62वर्श,सनीचरी पत्नी रामसुरत,60वर्श,विमली पत्नी सुक्खन,42वर्श,सुरतीया पत्नी सोमारू,30वर्श,फुलवन्ती पत्नी नरेष,40वर्श,गीता पत्नी फुलचन्द्र,32वर्श,मुरत पुत्र रामलाल,32वर्श,परमीला पत्नी तपेषर,20वर्श,संतोश पुत्र असर्फी,30वर्श, बुरी तरह पुलिस के तांडव के कारण घायल हो गए वहा कोहराम मच गया हर तरफ लोगो के रोने बिलखने की आवाज सुनार्इ देने लगी पुलिस वालो ने चार लोगो रामसुरत पुत्र रामअधार,32वर्श,तपेषर पुत्र स्व चरकू,20वर्श,संदेष पुत्र स्व सुलेन्दर,17वर्श,ेराजू पुत्र भुनेष्वर,18 को पीटते हुए थाना रावर्ट्रसगंज ले गए और एक दरोगा डी0एन0सिंह अपने उपर बस्ती वालो द्वारा हमला बोलने और मारने पीटने के कारण चोट का डाक्टरी की रिर्पोट बनवाकर बस्ती वालों में से चार लोगो जो गिरप्तार किए गए थे पुलिस के तहरीर के आधार पर एफ0आई0आर0 दर्ज कर लिया गया प्रशासन के लोगो ने बेशर्मी तब कर दिया जब मानवाधिकार कार्यकर्ता के निगरानी में रौप घसिया बस्ती के लोगो का उपचार और मेडिकल मुआयना कराने जिला चिकित्सालय सोनभद्र में पहूचे तब वहा डाक्टर आर0के0सिंह नें प्रषव पीड़ा से तड़फड़ा रही महिला का उपचार नही किए.
डाक्टर का कहना था कि आप लोग कही चले जाये कही हमारी िशकायत कर लें मै इस महिला का और पुलिस पीटाई से घायलो का न तो उपचार करूंगा और न ही इनका मेडिकल रिर्पोट बनाउंगा और मानवाधिकार कार्यकर्ता को डाक्टर शराब के नशा में होने के कारण अपशब्द बोलने लगा जिसकी शिकायत मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा मुख्यचिकित्साधिकारी को इस घटना कि सूचना दी गयी लेकिन सी0एम0ओ0 ने सी0एम0स0 पर जिम्मेदारी छोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा डी0एम0 को डाक्टर के नशे में धुत होन और चिकित्सक द्वारा प्रशव वाली दलित महिला एंव बस्ती के घायल लोगो का इलाज न करने कि शिकायत की गयी जिस पर जिलाधिकारी द्वारा उपजिलाधिकारी को इस मामलें की जांच करने को कहा गया मौके पर उपजिलाधिकरी नही आए किन्तु बस्ती में जाकर उपजिलाघिकारी द्वारा घायल महिला और घायल लोगो का बयान लिए और उनके लगे चोटो को भी देखे और बस्ती के चार बुजुर्गो को लेकर उपजिलाधिकारी कोतवाली रावट्र्रसगंज पहूचे और कोतवाल से बातचीत करके पुलिस हिरासत में चार लोगो को छोड़ दिया गया ।लेकिन इस प्रकार गर्भवती महिला और आदिवाशी बस्ती के लोगो पर पुलिस कहर बरसाने और घायलो और गर्भवती महिला का इलाज न करने वाले डाक्टर के उपर कोई कार्यवाही नही कि गयी ।अगर बस्ती वाले पुलिस के उपर हमला किए तो एफ0आई0आर0 के बाद भी पुलिस द्वारा बस्ती के चार लोगों को छोड़ना पुलिस की गलती और शर्मदगीं का गवाह है।
इलाज न होने के कारण गर्भवती महिला का शरीर सुज गया है और महिला के नवजातषीषु की भी हालत चिंताजनक बनी हुयी अगर मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकताओं द्वारा इस घटना पर पहल न कि जाती तो शायद पुलिस के पीटाई से घायल प्रशव पीड़ीत दूलारी को अपने गरीबी और बेबसी के कारण अपनी और अपने नवजात शिशु की जान गवानी पड़तीे और पुलिस के पीटाई में पकड़े गए चार युवको को चुनाव आचार संहिता के दौरान उनका अपराधी होना तय था।किन्तु शुक्र है मानवाधिकार जन निगरानी समिति का जो उत्तर प्रदेश में लोगो के मानवाधिकार हनन विशेष पुलिस उत्पीड़न के मामले पर ऐतीहासीक एंव सराहनीय कार्य किया जा रहा है जिससे कई जिन्दगीयां तबाह होने से बच रही है। फिर हाल मानवाधिकार जननिगरानी समिति के निदेशक डा0 लेलिन द्वारा इस प्रकरण को राश्ट्र्रीय मानवाधिकार आयोग नईदिल्ली एंव पुलिस महानिदेषक उत्तर प्रदेश को फैक्स के माध्यम से इस घटना में जाच कर कार्यवाही करने के लिए पत्र भेज दिया गया है। पुलिस द्वारा लोकतंत्र में इस तरह की घिनौनी घटना के लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा इस मामलें में कार्यवाही के लिए अरजेंट अपील भी जारी कि जा रही है जिससे कि दलितो के पुलिस पिटाई के मामले की आवाज दबाई जा न सके।फिर हाल पुलिस उच्चअधिकारी चुनाव आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग से बचने के लिए इस मामले की जांच के खाना पूर्ती में लगें है।
सत्यप्रकाश देव पाण्डेय (मानवाधिकार कार्यकर्त्ता)
Wednesday, January 11, 2012
Tuesday, January 10, 2012
उत्तर प्रदेश चुनाव निगरानी (UP Election Watch)
प्रिय साथी,
हार्दिक अभिवादन एवं नये वर्ष की शुभकानाएं !
एशोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (ADR), नई दिल्ली द्वारा आयोजित आगामी चुनाव की रणनीति बनाने एवं परिचर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
परिचर्चा का विषय-(उ0प्र0 में आगामी विधान सभा चुनाव में कैसे जनहितैषी, जनमित्र प्रत्याशी, साफ सुथरे छवि के प्रत्याशी चुनाव में भागीदार हो और जनमित्र शासन-प्रशासन स्थापित हो सके।)
हम संवैधानिक रूप से यह विश्वास करते हैं कि हम नागरिकों को यह मौलिक अधिकार है कि हम चुनाव में खड़े प्रत्याशियों के बारे में सही जानकारी रखे, उनका क्या इतिहास रहा है व समाज निर्माण में उनका क्या योगदान रहा है। चुनाव के बाद क्या वह जीता हुआ प्रत्याशी जनमित्र शासन-प्रशासन के लिए सक्रिय रहेगा या नही।
आने वाले समय में ADR/UPEW वाराणसी के सभी MLAs की आर्थिक एवं आपराधिक रिकार्ड की रिपोर्ट जारी करेगा, जो उनके स्वंय के हलफनामें के आधार पर होगी। जिसमें जनता के सामने सभी प्रत्याशियों की वास्तविक स्थिति होगी ताकि जनता को सही प्रत्याशी चुनने का मौका मिल सके।
आगामी चुनाव को लेकर हम सभी लोगों के मन मस्तिष्क में उथल-पुथल मचा हुआ है कि आगामी दिनों में प्रदेश में कौन और कैसे सरकार बनायेगा वह सरकार किस तरह से किन कार्य प्रणालियों में किन विचार धाराओं के साथ शासन-प्रशासन स्थापित करेगा। आइये हम सभी लोग इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करें जिसमें आने वाले दिनों में जनमित्र सरकार स्थापित कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका व सहयोग दे सके।
इस परिचर्चा में आप सादर आमंत्रित है !
दिनांक - 13 जनवरी,दिनांक - 13 जनवरी, 2012
स्थान - कामेश हट होटल, (वीर स्टूडियों के बगल वाली गली में), जगतगंज, वाराणसी।
समय - 11:30 बजे दोपहर
भवदीय
(डा0 लेनिन)
समन्वयक
सम्पर्क : +91 9935599333
e-mail : lenin@pvchr.asia
घसिया जनजाति की गर्भवती महिला पर पुलिसिया कहर और चार निर्दोश युवकों को जबरिया उठाकर ले जाने के संदर्भ में।
श्रीमान् पुलिस महानिदेशक,
लखनऊ।
महोदय,
हम आपका ध्यान सोनभद्र जिले के राबर्ट्सगंज स्थित रौप घसिया बस्ती की ओर आकृष्ट कराना चाहुँगा, जहाँ आज 09 जनवरी, 2012 को लगभग 01ः00 बजे दोपहर में 6-7 चार पहिया और दो तीन मोटर साईकिल के द्वारा कोतवाली थाना राबटर््सगंज तथा चुर्क पुलिस चैकी के पुलिस वाले पहुचे और अचानक हमला करते हुए लोगों को पकड़कर गाड़ी में बैठाने लगे। जब वहाँ उपस्थित महिलाओं के साथ लोगों ने पूछा कि पहले हमें वारंट या पकड़ने की कोई कागजात दिखाओं तब हमें गिरफ्तार करों। इतना सुनते ही बिना कुछ कारण बताये पुलिस वाले लाठी चार्ज कर दिये, जिसमें 30-35 बच्चे, महिलाये और बुजुर्ग लोगों के साथ नवयुवक घायल हो गये। उसी दौरान एक गर्भवती महिला दुलारी देवी, पत्नी-रामसुरत का गर्भपात हो गया, बच्चा तो जीवित है लेकिन पीडि़ता अभी भी बेहोष है, जिसे लाठियों से बेरहमी से पिटाई की गयी और इसके पति के साथ तपेसर, पुत्र-स्व0 चरखू, सदेष, पुत्र-सुरेन्द्र, लल्ला, पुत्र-नरेष को जबरदस्ती गाड़ी में बैठाये और उठाकर ले गये। समुदाय वालों को यह भी नही पता कि इन लोगों को कहा रखा गया है।
विदित हो कि आज स्व0 चरखू का तेरही था, जिसका पूरा खान-पान का इंतेजाम किया गया था, जिसे पुलिस वाले तहस-नहस करते हुए यह अमानवीय और घोर अत्याचार का ताण्डव वहाँ खेले। इस घटना के बाबत जब मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को फोन किया गया, तब उन्होंने जवाब दिया कि किसी कारण वश पुलिस वाले बस्ती में गये होगें, हम पता लगाते है। इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा जिलाधिकारी को फोन लगाया गया तब दो-तीन बार फोन करने के बाद बस्ती में किसी अधिकारी को भेजा गया, जो वहाँ पर दौरा कर घायलों को केवल बयान लिए है और बोले कि हमारे साथ उन चारों परिवार के लोग चलो उन्हें भी आधा घण्टा के बाद छुड़वा देगें, लेकिन अभी तक साथ जाने वाले अभिभावको व परिजनों का भी कुछ अता-पता नही है।
घटना के बाद जब जिला अस्पताल लोढ़ी (राबर्ट्सगंज) में मेडिकल कराने के लिए गए पीडि़तों को इमरजेंसी में तैनात डाक्टर नसे के हालत में गाली-गलौज कर वहाँ से भगाने लगा। जब इसका विरोध किया गया तब डाक्टर ने कहा पहले एफ0आई0आर0 दर्ज कराओं और उसकी प्रतिलिपि लेकर आओ तब मेडिकल जाँच होगी।
महोदय पुलिस वालों के द्वारा उत्पीडि़त पीडि़तों की एफ0आई0आर0 अगर पुलिस थाना या चैकी दर्ज करती है तब तो एफ0आई0आर0 कराया जा सकता था और फिर मेडिकल जाँच होती, लेकिन यहाँ साफ-साफ दिखाई पड़ रही है कि पुलिस वालों के साथ-साथ डाक्टर भी इस गैर कानूनी और अमानवीय कृत्य में सहयोग कर रहे है।
गिरफ्तारी, हिरासत एवं पूछताछ के सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिये निर्देशों को उल्लंघन किया गया साथ ही डाक्टर द्वारा शराब के नशे में आपातकालीन चिकित्सकीय निर्देशों का उल्लंघन किया गया।
अतः श्रीमान् से निवेदन है कि गर्भवती महिला और अन्य पीडि़तों को मुआवजा एवं सुरक्षा दी जाए तथा गिरफ्तार किये गये लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जाए तथा दोषी पुलिस कर्मियों एवं डाक्टर के खिलाफ न्यायोचित कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें।
भवदीय
(डा0 लेनिन)
महासचिव