http://www.thebhaskar.com/2012/01/blog-post_6745.html
पुलिस के पिटाई व घसीटने के कारण गर्भवती दलित महिला का प्रसव हुआ महिला के अचेत बच्चे की भी हालत नाजुक बनी हुई है। महिला के साथ दलित घसिया आदिवासी बस्ती के लगभग दो दर्जन महिलाओ,बच्चों और पुरूषॊ की पुलिस द्वारा पिटाई।आजादी के इतने वर्ष बितने के बावजुद आज भी हमारे देश के दलितों की हालत गुलामों की तरह ही है भले ही उत्तर प्रदेश में दलित मुख्यमंत्री का राज रहा हो। या तो लोकतंत्र में दलितो से वोट बैंक बनाने के लिए उनका उपयोग किया गया है या तो उन्हें सामाज में हथियार बनाकर अपनी रोटी सेकी गयी है।
ऐसा ही एक घटना जो दलितो के उपर पुलिस तांडव के उपर आधारीत है आपके सामने रखना चाहता हू। उत्तर प्रदेष के अति पीछड़े जिले सोनभद्र के जिला मुख्यालय से सटे गाव रौप घसीया बस्ती में 9 जनवरी 2012 का दिन बस्ती वालों के लिए पुलिस द्वारा ढाए गए कहर का दिन रहा। चुनाव आचार संहिता के दौरान इस दिन पुलिस वाले बस्ती में अपराधियों की दबीस के लिए बस्ती में घुसे और बस्ती में ललकारना शुरू किए और घरो में से आदिवाशीयों को बाहर निकालकर अपना तांडव मचाना शुरू कर दिए पुलिस वालों के लिए शर्म कि बात यह है कि एक गर्भवती महिला जो अपने प्रशव पीड़ा के दर्द से कराह रही थी उस दूलारी उम्र32 वर्श को भी पुलिस वालों नें बेरहमी से पीटकर घसिटना शुरू कर दिया इसी दौरान दूलारी का प्रशव हो गया और वह अचेत हो गई और दूलारी का नवजात शीशु धुल और मिट्रटी में तड़पने लगा फिर भी पुलिस वालो को दया नही आयी और पुलिस वाले दूलारी के पति रामसुरत को भी पत्नी के प्रशव के बावजुद भी मारपीट कर थाने ले गयी।
इतना ही नही प्रशव के बाद जब बस्ती के लोगो ने पुलिस का विरोध किया तो बस्ती के महिलाओ ,बच्चों और बृद्वो को दौड़ा दौड़ा कर बुरी तरह से पिटा जिसके दौरान बिलासीपत्नीस्वचरक,40वर्श,राजकुमार पुत्र होलसाल,30वर्श,फुलचन्द्र पुत्र हृतलाल,35वर्श,हंशु पुत्र बुझावन,32वर्श,चमेली पत्नी बबुन्दर,26वर्श,सुरतीया पत्नी संतोश,25वर्श,सुरतीया पत्नी षिवकुमार,30वर्श,विजय पुत्र नरेष,22वर्श,फुलकुवारी पत्नी गजाधर,50वर्श,प्रतापी पत्नी नन्दलाल,20 वर्श ,सोमारू पुत्र रामभरोस,32वर्श,तेतरी पत्नी बच्चे,32वर्श,ऐनवा पत्नी मुरत,32वर्श,रूकमनी पत्नी हंषलाल,62वर्श,सनीचरी पत्नी रामसुरत,60वर्श,विमली पत्नी सुक्खन,42वर्श,सुरतीया पत्नी सोमारू,30वर्श,फुलवन्ती पत्नी नरेष,40वर्श,गीता पत्नी फुलचन्द्र,32वर्श,मुरत पुत्र रामलाल,32वर्श,परमीला पत्नी तपेषर,20वर्श,संतोश पुत्र असर्फी,30वर्श, बुरी तरह पुलिस के तांडव के कारण घायल हो गए वहा कोहराम मच गया हर तरफ लोगो के रोने बिलखने की आवाज सुनार्इ देने लगी पुलिस वालो ने चार लोगो रामसुरत पुत्र रामअधार,32वर्श,तपेषर पुत्र स्व चरकू,20वर्श,संदेष पुत्र स्व सुलेन्दर,17वर्श,ेराजू पुत्र भुनेष्वर,18 को पीटते हुए थाना रावर्ट्रसगंज ले गए और एक दरोगा डी0एन0सिंह अपने उपर बस्ती वालो द्वारा हमला बोलने और मारने पीटने के कारण चोट का डाक्टरी की रिर्पोट बनवाकर बस्ती वालों में से चार लोगो जो गिरप्तार किए गए थे पुलिस के तहरीर के आधार पर एफ0आई0आर0 दर्ज कर लिया गया प्रशासन के लोगो ने बेशर्मी तब कर दिया जब मानवाधिकार कार्यकर्ता के निगरानी में रौप घसिया बस्ती के लोगो का उपचार और मेडिकल मुआयना कराने जिला चिकित्सालय सोनभद्र में पहूचे तब वहा डाक्टर आर0के0सिंह नें प्रषव पीड़ा से तड़फड़ा रही महिला का उपचार नही किए.
डाक्टर का कहना था कि आप लोग कही चले जाये कही हमारी िशकायत कर लें मै इस महिला का और पुलिस पीटाई से घायलो का न तो उपचार करूंगा और न ही इनका मेडिकल रिर्पोट बनाउंगा और मानवाधिकार कार्यकर्ता को डाक्टर शराब के नशा में होने के कारण अपशब्द बोलने लगा जिसकी शिकायत मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा मुख्यचिकित्साधिकारी को इस घटना कि सूचना दी गयी लेकिन सी0एम0ओ0 ने सी0एम0स0 पर जिम्मेदारी छोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा डी0एम0 को डाक्टर के नशे में धुत होन और चिकित्सक द्वारा प्रशव वाली दलित महिला एंव बस्ती के घायल लोगो का इलाज न करने कि शिकायत की गयी जिस पर जिलाधिकारी द्वारा उपजिलाधिकारी को इस मामलें की जांच करने को कहा गया मौके पर उपजिलाधिकरी नही आए किन्तु बस्ती में जाकर उपजिलाघिकारी द्वारा घायल महिला और घायल लोगो का बयान लिए और उनके लगे चोटो को भी देखे और बस्ती के चार बुजुर्गो को लेकर उपजिलाधिकारी कोतवाली रावट्र्रसगंज पहूचे और कोतवाल से बातचीत करके पुलिस हिरासत में चार लोगो को छोड़ दिया गया ।लेकिन इस प्रकार गर्भवती महिला और आदिवाशी बस्ती के लोगो पर पुलिस कहर बरसाने और घायलो और गर्भवती महिला का इलाज न करने वाले डाक्टर के उपर कोई कार्यवाही नही कि गयी ।अगर बस्ती वाले पुलिस के उपर हमला किए तो एफ0आई0आर0 के बाद भी पुलिस द्वारा बस्ती के चार लोगों को छोड़ना पुलिस की गलती और शर्मदगीं का गवाह है।
इलाज न होने के कारण गर्भवती महिला का शरीर सुज गया है और महिला के नवजातषीषु की भी हालत चिंताजनक बनी हुयी अगर मानवाधिकार जननिगरानी समिति के कार्यकताओं द्वारा इस घटना पर पहल न कि जाती तो शायद पुलिस के पीटाई से घायल प्रशव पीड़ीत दूलारी को अपने गरीबी और बेबसी के कारण अपनी और अपने नवजात शिशु की जान गवानी पड़तीे और पुलिस के पीटाई में पकड़े गए चार युवको को चुनाव आचार संहिता के दौरान उनका अपराधी होना तय था।किन्तु शुक्र है मानवाधिकार जन निगरानी समिति का जो उत्तर प्रदेश में लोगो के मानवाधिकार हनन विशेष पुलिस उत्पीड़न के मामले पर ऐतीहासीक एंव सराहनीय कार्य किया जा रहा है जिससे कई जिन्दगीयां तबाह होने से बच रही है। फिर हाल मानवाधिकार जननिगरानी समिति के निदेशक डा0 लेलिन द्वारा इस प्रकरण को राश्ट्र्रीय मानवाधिकार आयोग नईदिल्ली एंव पुलिस महानिदेषक उत्तर प्रदेश को फैक्स के माध्यम से इस घटना में जाच कर कार्यवाही करने के लिए पत्र भेज दिया गया है। पुलिस द्वारा लोकतंत्र में इस तरह की घिनौनी घटना के लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा इस मामलें में कार्यवाही के लिए अरजेंट अपील भी जारी कि जा रही है जिससे कि दलितो के पुलिस पिटाई के मामले की आवाज दबाई जा न सके।फिर हाल पुलिस उच्चअधिकारी चुनाव आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग से बचने के लिए इस मामले की जांच के खाना पूर्ती में लगें है।
सत्यप्रकाश देव पाण्डेय (मानवाधिकार कार्यकर्त्ता)