Tuesday, September 18, 2012

हिरासत मे की गयी पहल और पैरवी – एक गश्त

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद स्थित चोलापुर थाने के 2 दरोगा और 7 पुलिसकर्मी 20 मई, 2012 को रात 12 बजे अपने जीप से गांव फकीरपुर पहुंचे और 39 वर्षीय पन्नालाल चौहान, पुत्र – स्व0 बसंतु चौहान को घर से जबरदस्ती उठा ले गये ! अगले सुबह जब पन्नालाल के परिजन थाने पहुचे, तब वहा कहा गया की आज इसका चालान कर देंगे, वही उससे मिलना, यहा मुलाकात नही हो सकती, लेकिन उस दिन चालान नही किया गया, परिजन कचहरी मे शाम तक इंतजार ही करते रह गये ! अचानक 22 मई, 2012 को लगभग 10 बजे दिन मे सूचना मिली की पन्नालाल बेहोश है तथा उसकी हालत चिंता जनक बनी हुयी है, जिसे पुलिस द्वारा वराणसी शहर स्थित “पंडित दीन दयाल उपाध्या अस्पताल” मे गम्भीर हालत मे भर्ती कराया गया है !
 
 जब पीडित के परिजन वहा पहुचे देखा की पन्नालाल के नाक – मुह मे मास्क लगा है और सलेण्डर से कनेक्ट है ! वहा के डाक्टर ने पीडित को “सर सुन्दर लाल अस्पताल” काशी हिन्दू विश्वविद्धालय, वाराणसी रेफर किये, लेकिन पुलिस - खुद S.O. चोलापुर जबरदस्ती एक निजी अस्पताल “शुभम” जेल रोड, मकबूल आलम रोड, वाराणसी मे भर्ती कराये और परिजनो से मिलने नही दिया गया ! परिजन थक - हार के क्षेत्राधिकारी, पिण्डरा से इस बाबत मिले, उन्होने कहा – “चिंता नही करो, जितना पैसा खर्च होगा, हम उठायेगे. तुम लोंग कही भी लिख – पढी नही करोगे !” वहा से उदासीन परिजन अस्पताल पहुंचे, वहा अगर कोई मिलने जाए तब पुलिसकर्मी पहले कहते – “कागजात पर हस्ताक्षर कर दो, और ईलाज कराओ !” परिजनो के मना करने पर जबरदस्ती पर उतर आये, जिस कारण लोंग किसी तरह से पीछा छुडाकर छिपने हेतु भागे – भागे फिर रहे थे ! परिजनो के द्वारा लगभग 12 बजे मानवाधिकार जन निगरानी समिति, वाराणसी मे फोन आया और वे लोंग सारी स्थिति से अवगत कराये ! जिस पर दो कार्यकर्ता को परिजन से मिलकर आगे की कार्यवाही हेतु सम्पर्क करने को कहा गया !
 
सम्पर्क साधने के बाद परिजन के तीन लोंग साथ आये, लेकिन काफी डरे हुए, उन्हे शक था की हमलोंग कही पुलिस की साथी हो ! लोंग एक - एक करके पहुंचे, कुछ भी कहने से पहले बेचैन हो ईधर – ऊधर देखते, बात कहते - कहते हमलोंगो के कार्यालय की स्थिति की जानकारी लिये ! वहा के निवासी जिन्हे वे जानते थे उनके बारे मे पूछा की आप लोंग उन्हे जानते है, इस तरह से जब विश्वास हुआ तब अन्य लोंग भी वहा पहुचे, इशारो से उन्हे बुलाया गया था ! विश्वास और औपचारिक बाते होने तथा सारी घटना सम्बन्धित तथ्य पर चर्चा के बाद वे लोंग बोले – कहा बैठा जाय ! वही समीप मे स्थित “आर्य समाज स्कूल” मे बैठा गया, जहा परिजन का बयान लिखा गया और विडियो बयान हुआ, इतना होने के बाद भी वे लोंग सशंकित थे ! कभी आवेदन लिख शिकायत नही करने को कहते, कभी कहते – “मेरा परिवार के सद्स्य के साथ यह घटी है, बिना कसूर के उसके साथ पुलिस ने अत्याचार किया है, हम लोंग भागे भागे फिर रहे है, फिर भी उसकी जान बचानी है !” उसी मे एक परिजन ने किसी प्रकार का बयान देने से इंकार किया, केवल बोले – “हा, यह सही है, उसके बच्चे अभी छोटे है, घर का ईकलौता कमाऊ आदमी के साथ यह हुआ है, अब हम क्या बोले, लेकिन मेरा बयान कही भी प्रयोग नही करे ! हमे पुलिस से बहुत डर लगता है, मै इसमे फसना नही चाहता !” काफी बातचीत होने के बाद वे लोंग फिर अस्पताल जाकर पीडित के स्थिति के बारे मे जानने की उत्सुकता जताये ! उनका कहना था की हमलोंग वहा नही जा सकते, अगर पुलिस पहचान के पकड लिया, तब जबरदस्ती हस्ताक्षर करके हम गरीब पर ईलाज के लिए सौप देंगे, वह अस्पताल सबसे महंगा है, हमलोंग कहा से लाखो रूपया लायेंगे !
 
मेरे पन्ना को पुलिस वाले जिस स्थिति मे ले गये थे, उसी स्थिति मे हमे वापस करे और हमलोंगो को कुछ नही कहना है ! उन्हे अस्पताल की स्थिति के बारे मे बताने के लिए वहा से कार्यालय होते हुए शुभम अस्पताल पहुंचे, इस बीच कार्यालय से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली – भारत को त्वरित कार्यवाही करने और सुरक्षा हेतु प्रार्थना – पत्र लिखाकर 2:08 PM पर फैक्स किया गया, जिस पर 26 मई, 2012 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी को नोटिस जारी की गयी ! अस्पताल पहुचने पर देखे की C.O. व S.O. की गाडी खडी थी ! मुख्य दरवाजा से ICU तक पुलिस के जवान मुश्तैद थे ! सबसे पहले रजिस्ट्रेशन डेस्क पर पन्नालाल के सन्दर्भ मे तथा उसकी स्थिति के बारे मे पूछा गया, वहा बताया गया की उनकी नाज़ूक स्थिति को देखते हुए ICU मे भर्ती कराया गया है, अभी वे बोलने की स्थिति मे नही है, अभी तुरंत मजिस्ट्रेट साहब (SDM) उसकी स्थिति देखकर गये है ! वहा से तुरंत ICU के तरफ बढे ! भवन के मुख्य दरवाजा से किसी को बिना परिचय के अन्दर नही जाने दिया जा रहा था ! दरवाजा पर खडा व्यक्ति से जब पन्ना के बारे मे पूछा गया, तब उसने कहा – उसकी हालत बोलने लायक नही है, क्या करेंगे मिलकर, आप लोंग उसके परिजन है !” अपना परिचय मानवाधिकार कार्यकर्ता कह कर दिया गया तथा साथ मे कहा गया की S.O. साहब से मिलना था, क्या अभी वे यही है !
 
कर्मचारी बोला – बता नही सकते, वे तो खुद दवा लाने मे व्यस्त है, बार – बार आ रहे है, जा रहे है ! वहा की स्थिति को देखकर लगा की पूरा अस्पताल के कर्मचारी घटना से अवगत है ! फिर भी एक कोशिश किया गया और S.O. से मिलने की बात करते हुए थोडा जबरदस्ती कर दरवाजा के अन्दर प्रवेश किये, उस समय किसी पीडित के परिजन प्रवेश कर रहे थे, जिससे यह सम्भव हुआ ! ऊपर चिढी से चढते समय कर्मचारी बोला – देखिए, वहा किसी को जाने का आदेश नही है ! ठीक – ठीक कहते हुए जब ICU मे प्रवेश किये, वहा दरवाजा पर एक तथा अन्दर दो पुलिस जवान अपने हथियार संग खडे थे ! वहा उंसेसे बात न कर कर्मचारी से पन्नालाल के बारे मे पुछे ! पहले तो वह अचम्भित नज़रो से देखते हुए बोला – “आप लोंग यहा कैसे,” तभी बाहर तैनात जवान के साथ सभी पुलिस कर्मी भी घूरने लगे ! S.O. साहब नही है क्या, कहते हुए पन्नालाल कहा है देखना चाहते है और कमरा की तरफ बढने लगे की वही कर्मचारी बोला – वह ठीक है अभी, डाक़्टर के आदेश के बिना आप लोंग अन्दर नही जा सकते, किसी को अन्दर जाने का पर्मिशन नही है, कुछ पत्रकार आये थे बाहर से मिलकर गये ! किसी तरह से उन्हे बाहर से देखकर नीचे आये ! उनके मूह मे मास्क और छती से पाईप जुडा हुआ था, वहा का हालात देख कर लग रहा था की युद्ध स्तर पर पीडित के परिजन को खोजा जा रहा है !
 
 
  इसी बीच कई बार परिजनो का फोन आया की S.O. फोन कर दबाब बना रहे है की पन्ना की देखभाल तुम लोंग करो, नही तो बहुत बूरा होंगा, तुम सभी को बर्बाद कर देंगे ! दुसरी तरफ ग्राम प्रधान पर भी दबाब बना रहे है की परिजनो को समझा – बुझा के किसी प्रकार अस्पताल लेते लाओ ! प्रधान जी भी चुप्पी साधे है ! बाहर जाने पर S.O. आते हुए दिखयी दिये, उनके हाथ मे दवाओ से भरी पालीथीन थी, जिसे वे ICU मे पहुचाकर नीचे आये ! उनके कुछ समर्थक लोंग धीरे – धीरे बात करने लगे तभी वे कही फोन लगाये, वे अलग हट के फोन किये और धीरे – धीरे बातचीत हो रही थी की अचानक थोडी जोर – जोर से बात होने लगी - “देखो तुमलोंग अच्छा नही कर रहे हो, जितना खर्च होगा हमलोंग देख लेंगे, लेकिन आकर पन्ना को देख - रेख करो !” भन्नाकर उन्होने फोन रखा और समर्थको से बातचीत करने लगे ! तभी उनसे पीडित के हालत के बारे मे पूछे, उन्होने कहा – ठीक है ! वे यह नही पूछे की आप लोंग कौन? वहा से बाहर आकर परिजनो और समिति को स्थिति से अवगत कराया गया ! इस बीच पीडित के परिजन महिलाओ को छोडकर रात भर घर से बाहर रहने को मज़बूर थे, क्योकि कई बार पुलिस द्वारा गांव जाकर खोजबीन की जा रही थी ! दुसरी तरफ परिजनो से व परिजन खुद फोन से हर सूचनाओ का आदान – प्रदान करते रहे ! अगले दिन 23 मई, 2012 को माननीय मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक - उत्तर प्रदेश व राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को परिजन के बयान, विडियो बयान व अन्य कागजातो के साथ त्वरित कार्यवाही हेतु आवेदन पत्र डाक द्वारा भेजा गया ! जिस पर दिनांक 11 जुलाई, 2012 को पुलिस अधीक्षक, वाराणसी को नोटिस जारी का गयी है ! तभी सूचना मिलने पर की पन्नालाल को पुलिस वाले अस्पताल से डिस्चार्ज कराने वाले है ! शाम को अस्पताल गये, जहा कई प्रदेश सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के झण्डा लगी चारपहिया खडी थी, पुलिस का जीप भी आ रही थी - जा रही थी ! रजिस्ट्रेशन डेस्क पर जाकर पूछा गया की पन्नालाल को डिस्चार्ज कर दिया गया है , क्या? – वह अब कैसा है ! जबाब मे सुनने को मिला की नही, कागजात सब तैयार है, बस करना ही है, हम नही बता सकते की कैसा है, हा अब बोलने लगा है !
 
वहा से लौट कर मुख्य दरवाजा पर खडे होकर स्थिति पर नज़र रखे रहे, जहा तक सम्भव हुआ वहा जा जाकर पन्नालाल को ढूंढे, लेकिन कही नज़र नही आया ! उनके परिजन भी कही दिखायी नही दे रहे थे ! स्थिति देखकर लग रहा था की कही पन्नालाल का देहांत तो नही हो गया है, क्योकि सभी पुलिस वाले बेचैन इधर उधर घूम रहे थे ! S.O. कभी जीप से आ रहे थे जा रहे थे ! कल ICU के बाहर तैनात सिपाही कभी कभी घूर कर देख रहा था ! जीप मे बैठे दो पुलिसकर्मी के नज़र देख लगा रहा था की वे गतविधि पर नज़र गडाये हुए है ! समर्थको की गाडी का आना - जाना बना रहा, S.O. से बातचीत करके, हालात के बारे मे जान कर चले जाते ! कई गांवो के ग्राम प्रधान भी वहा उपस्थित थे जो थानाध्यक्ष के साथ लगे हुए थे ! इन सब मे 10 बजे रात गुजर गयी, लेकिन पीडित कही नज़र नही आया ! कुछ समय बाद पता चला की चुप्पे से वे लोंग निकल गये, और पन्नालाल के गांव फकीरपुर मे ग्राम प्रधान को सुपुर्दगी मे दे दिए और इलाज मे प्रयोग आने वाली दवा को रख गये, लेकिन इलाज के पर्चाओ को अपने साथ ले गये, जबकि उपस्थित परिजनो के द्वारा पर्चा मांगी गयी थी, S.O. पर्चा देने से साफ इंकार कर गये ! जब पन्नालाल की स्थिति देखी गयी, उनके सीने पर टेप लगा था, जहा एक छेद दिखा ! उनकी स्थिति उस दौरान भी गम्भीर थी, जिन्हे पुन: सर सुन्दर लाल अस्पताल, काशी हिन्दू विश्वविद्धालय भर्ती कराया गया ! काफी कमजोरी के कारण बोल नही पा रहे थे ! आज भी उनकी स्थिति दयनीय है, पूरा परिवार आर्थिक रूप से ग्रस्त है, इलाज मे काफी पैसा खर्च हो रह है !
 
पुलिस द्वारा सुपुर्दगी के बाद फिर अभी आर्थिक सहायता प्रदान नही कराया गया ! इन स्थितियो के बाद मनोवैज्ञानिक कार्यकर्ता के द्वारा स्व0 व्यथा कथा द्वारा मनोवैज्ञानिक उपचार कर मनो – सामाजिक सहयोग किया गया है ! जिससे सब्बल प्राप्त कर संघर्षरत है ! इस घटना मे 19 मई, 2012 को पन्नालाल के पडोसी के साथ नाली के पानी को लेकर विवाद हुआ था, पुलिस आकर दोनो पार्टी को गांव के बाहर ले जाकर बातचीत कर छोड दिये थे ! विपक्षी के साथ मिलकर पुलिस षड्यंत्र के तहत घटना की रात पीडित को आधी रात मे घर से उठा ले गयी और हिरासत मे अत्यधिक मारपीट के कारण पन्नालाल बेहोश हो गया, जिसे 22 मई, 2012 को वाराणसी स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल मे आनन – फानन मे भर्ती कराया गया था ! विदित हो की पुलिस द्वारा धारा 151 Cr.PC के उस दिन पीडित का चालान किया गया और SDM द्वारा PB पर छोड दिया गया, जो पीडित के अस्पताल मे भर्ती के दौरान हुआ !

श्री उपेन्‍द्र कुमार, मैनेजर
श्री शिव प्रताप चौबे,मॉडल ब्‍लॉक कोआर्डिनेटर