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Date: 2013/3/6
Subject: RTE Act लागू होने के बाद भी रौप गाँव घसिया बस्ती रावर्ट्सगंज, सोनभद्र में सरकारी प्राथमिक विद्यालय न होने से यहाँ के 105 बच्चो के नियमित व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होने के सन्दर्भ में।
To: rkncpcr07@gmail.com
Cc: PVCHR <pvchr.india@gmail.com>, lenin <lenin@pvchr.asia>
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Anup Srivastava
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Date: 2013/3/6
Subject: RTE Act लागू होने के बाद भी रौप गाँव घसिया बस्ती रावर्ट्सगंज, सोनभद्र में सरकारी प्राथमिक विद्यालय न होने से यहाँ के 105 बच्चो के नियमित व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होने के सन्दर्भ में।
To: rkncpcr07@gmail.com
Cc: PVCHR <pvchr.india@gmail.com>, lenin <lenin@pvchr.asia>
सेवा में,
सदस्य,
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
नई दिल्ली।
विषय : RTE Act लागू होने के बाद भी रौप गाँव घसिया बस्ती रावर्ट्सगंज, सोनभद्र में सरकारी प्राथमिक विद्यालय न होने से यहाँ के 105 बच्चो के नियमित व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होने के सन्दर्भ में।
महोदय,
सोनभद्र जिले के रावर्ट्सगंज के पास रौप गाँव में घसिया जन जाति के 71 परिवारों रहते है । घसिया जनजाति अपने परम्परागत ''करमा नृत्य'' को कर अपना जीविकोपार्जन करता रहा है । इनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है । इनकी निम्न आर्थिक स्थिति और स्वयं की अशिक्षा का असर इनके बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है।
रौप गाँव में सरकारी विद्यालय न होने से बच्चो को रोड़ पार कर दूसरे गाँव लोढ़ी के प्राथमिक विद्यालय में जाना पड़ता है । लेकिन स्कूल जाने के लिए उन बच्चो को राष्ट्रीय राज मार्ग (वाराणसी-शक्तिनगर) को पार करके जाना पड़ता है | यह बहुत बड़ा खनन क्षेत्र भी है जिससे यह मार्ग दुर्घटना बाहुल्य भी है क्योकि इस पर 24 घंटे ट्रक, बस और बड़ी गाडिया चलती रहती है | | जिससे अक्सर रोड़ पार करने में दुर्घटना होती रहती है | इस बस्ती के कुछ बच्चे भी पूर्व में दुर्घटना के शिकार हो गये। जिसकी वजह से बच्चों के अभिभावक बच्चो को स्कूल भेजने में डरते है | साथ ही जनजाति समुदाय के होने से उक्त विद्यालय में अध्यापक यहां के बच्चों पर कोई विशेष ध्यान नहीं देते है | जिसके कारण ड्राप आउट बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती रहती है और जो बच्चें जाते भी है उनका ठहराव व नियमितिता नहीं रहती है।
बस्ती में 6-14 साल के कुल 105 बच्चें है। जिनमें से केवल 28 बच्चें स्कूल जाते है, लेकिन दुर्घटना के डर से नियमितिता नहीं है। जिसकी वजह से इनमें कक्षावार दक्षता का अभाव है। 32 बच्चें ऐसे है जिनका नामांकन तो है लेकिन ये कभी विद्यालय नहीं जाते हैं। 29 बच्चें ड्राप आउट है इसके बावजूद स्थानीय शिक्षा विभाग व विद्यालय प्रशासन की कोई संवेदना इन बच्चों के प्रति नहीं दिखाई पड़ती है।
समुदाय व संस्था द्वारा विगत कई सालों से बस्ती में सरकारी प्राथमिक विद्यालय की मांग होती रही है । काफी प्रयासो के बाद और माननीय डा0 योगेश दूबे, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग जी की पहल पर यहां सरकारी प्राथमिक विद्यालय के लिये बस्ती में जमीन की पैमाइस कराकर भूमि पूजन भी किया गया |
इसके बाद बस्ती में मानवाधिकार जननिगरानी समिती द्वारा निर्मित सेन्टर पर एक सरकारी शिक्षिका की नियुक्ति भी की गयी। नियुक्त शिक्षिका दुसरे जाती की होने के कारण इन बच्चों को पसन्द नहीं करती थी और बच्चों को मारती भी थी । साथ ही कोई बहाना ढूढ़ कर यहां से निकलना चाहती थी । इसी कारण दो तीन महिने में उसने अपना तबादला पास के दूसरे सरकारी विद्यालय में करवा लिया । अतः वर्तमान में फिर से यहां के बच्चे शिक्षा से वंचित हो गये लेकिन स्थानीय प्रशासन संवेदनशून्य बना हुआ है और इनकी तरफ से कोई पहल नहीं की जा रही है।
अतः आप से विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस बात को ध्यान में रखते हुए कि रौप गावं में पहले एक सरकारी शिक्षक की नियुक्ति की गए और उसके बाद जमीन की पैमाईश की गए और स्कूल भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया और निर्माण कार्य शुरू किया गया | जो की शिक्षा विभाग द्वारा ही किया गया है | यदि इतना कार्यवाही के बाद निर्माण कार्य रोका गया तो यह बात की जवाबदेही शिक्षा विभाग से माँगी जाय कि किस आधार पर जमीन की पैमाईश, स्कूल भवन निर्माण और शिक्षक की नियुक्ति की गयी थी ?
उक्त तथ्यों को संज्ञान में लेते हुये और शिक्षा अधिकार अधि0-2009 के तहत उचित कार्यवाही करते हुये 105 बच्चों की सुचारू रूप से गुणवत्तापूर्ण व नियमित शैक्षणिक प्रक्रिया चलाने की व्यवस्था करने हेतु वहा रुके हुए स्कूल भवन निर्माण कार्य को जल्द से जल्द शुरू किये जाने का आदेश दे और जब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता तब तक वहा शिक्षक की नियुक्ति की जाय जिससे ये बच्चे भी समाज व शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़कर अपने सुनहले भविष्य का सपना साकार कर सकें।
संलग्नक- 1. 6-14 वर्ष के स्कूल जाने और स्कूल से बाहर बच्चों की सूची ।
भवदीय
अनूप श्रीवास्तव
सीनियर मैनेजर
मानवाधिकार जननिगरानी समिती
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