30 जनवरी, 2015 को खरगपुर मुसहर बस्ती में लोक विद्यालय का आयोजन भोनू मुसहर के घर के पास किया गया जिसमें समुदाय के अगुआ सहित अनय लोग भी उपस्थित रहे। जिसमें मुद्दा निर्धारित पुलिस के पिछले कार्य व्यवहार व अब के कार्य व्यवहार व डी0के बसु गाइड लाइन व फार्मेट के आधार पर रहा। बैठक की शुरुआत सर्व प्रथम परिचय सबसे से शुरु हुआ बारी-बारी से लोग अपना नाम पता बताये साथ-साथ थाने का पता बताये समुदाय द्वारा बताया गया कि थाने का भवन काफी पुराना हे और जहा बन्द करते है वहा पर एक ही कमरे में शौचालय और पेशाब घर दोनों है जिसमें काफी गन्दगी रहती है थाने में मच्छर भी बहुत अधिक लगते है। थाने के भवन का ढाॅचा जर्जर है।
समुदाय के सुरेन्दर बंशू, भोनू, रन्नों बगैरह बताये कि आज 7 वर्ष पहले जब हम लोग थाने में जाते थे तो पुलिस वाले गाली देकर थाने से वाहर भगा देते थे। उनके द्वारा कोई सुनवाई नहीं कि जा रही थी लेकिन जब से मानवाधिकार जन निगरानी समिति द्वारा बस्ती में कार्य किया जाने लगा तब से पुलिस वाले थाने पर जाने पर वह शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस द्वार जाॅच कि जाती है और अब सुनवाई होन लगी है। समुदाय के बिन्दू जो दाये हाथ के विकलांग है बताये कि थाने पर तैनात सिपाही कर्मी द्वारा आज भी गलत व्यवहार किया जाता है उन्होने ने बताया कि सन 2014 में मेरे पिता बंशू मुसहर का तबियत खराब पर हाजिर न होने पर वारेन्ट आया था इसी मामले में पुलिस वाले मेरे पिता को पकड़कर थाने में बन्द किये थे। जब मैं अपने पिता को सुबह नाश्ता लेकर थाने गया तो गेट पर तैनात सिपाही कर्मी गाली देकर बाहर भगया दिया मुझे मेरे पिता से मिलने की बात तो अलग हे नाश्ता भी नहीं दिये। मेरे नाजर मे तैनात पुलिस वालो का व्यवहार अच्छा नहीं है साथ-साथ उन्होने यह भी बताया कि हमारे बस्ती में जब कोई घटना घटती है तो बस्ती है तो बस्ती की रन्नों, भोनू 100 नम्बर पर फोन करके घटना की सूचना दिये है। सूचना के आधार पर पुलिस वाले आते हैं और उनकीे द्वारा उचित कार्यवाही कि जाती है। साथ ही उन्होने बताया कि पुलिस वाले डी0 के0 गाइड लाइन का अनुपालन नहीं करते है। जैसे हम जानते है कि पुलिस वाले को मेडिकल गिरफ्तारी के समय कराना चाहिए थाने में गाली देते हैं मारते पीटते है सफाई करवाते है अच्छा खाना नहीं देते है। पीडि़त व्यक्ति से मिलने नही देते। जब कोई आवेदन लेकर थाने में जाना पढता है तो पैसा लेते है और पैसा ने देने पर कोई कार्यवाही नही कि जाती है। मेरे नजर से पुलिस वाले डी0 के बसु गाइड लाइन का पालन नहीं करते है।
बरसाती बताये कि आज के 10 साल पहले पुलिस वाले जब बस्ती में आते थे तो बस्ती के लोग पुलिस वालों के डर से घर छोड़कर भाग जाते थे कि कही ऊख के खेत रहर के खेत में छिपकर रहते थे और यही बात बस्ती के भोनू बताये कि बस्ती में जब पुलिस आती थी तो गाली गलौज भी देती थी लेकिन जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति बस्ती में काम करने लगी उसके 1 वर्ष के बाद से पुलिस के व्यवहार में काफी सुधार आया है।
मुंशी बताये कि जब मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग काम नही करते थे तो हम लोग अपने झोपड़़ी में सोये रहते थे तो पुलिस वाले आकर झोपड़ी में घुसकर चाहे पति या पत्नी का पैर मिलता था गाली देते हुए पैर पकड़कर झोपड़ी के बाहर खिच लेते थे और भद्दी- भद्दी गाली देकर औरतो से पुछते थे कि कहा भगा दि हो। मुंशी ने कहा कि अब पुलिस रोड़ पकड़कर आती जाती है लेकिन बस्ती में किसी को पकड़ते नही है। अब वह बस्ती मे आते है तो प्रेम से बातचीत करते है। भोनू ने कहाॅ कि 2 वर्ष पहले पुलिस वाले हमारे ऊपर फर्जी मुकदमा का केस कर दिये थे। घरसौना में राजभर बस्ती के व्यक्ति की हत्या हुई थी जिसमें फुलपुर थाने कि पुलिस रात में एक जीप सहित पुलिस वाले आये और बिना कुछ पुछे हमे गाली देते हुए घेर लिये जहां मै अपनी पत्नी के साथ सोया था रात के 12ः20 हो रहे थे। पुलिस वाले हमे इनकाउण्टर करने के लिए बहाना बनाकर घर से 2 किलोमीटर दुर कनकपुर ग्राम के सुनसान जगह पर एक पेड़ में बाधंकर बोले कि अक्कर कहाँ है अगर नही बताओगे तो गोली मार देंगे उस समय दरोगा बोला कि मेरी दुर्गा माँ एक मुसहर का बलिदान माँग रही है मै कोई चोर चाई या बदमाश नही था इसलिए मुझे उनकी बातो से डर नही लगा मैने कहा कि मै अक्कर को नही जानता हूँ की वह कहाँ रहता है इतना ही नही फुलपुर थाने के अलावा चोलापुर थाने की पुलिस मेरे ऊपर फर्जी मुकदमा लाद रही है वह भी हत्या के मामले में जबकि हत्या भोरट गाँव में गोविन्द पाल का हुआ था जिसके बारे में मै जानता भी नही था पुलिस वालो का यह सिलसिला लगातार 4-5 वर्षो तक चलता रहा जब हमारे बस्ती में मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा पहल किया गया तो पुलिस वालों केे व्यवहार में काफी बदलाव आया हैं उन्होने यह भी बताया कि मैं पुलिस वालों के झूठे व फर्जी केस के मामले में चैकाघाट जेल में 26 माह तक बन्द था मेरे ऊपर 9 मुकदमा फर्जी तरीके से लगाया गया था इसके अलावा गुण्ड़ा एक्ट लगाया गया आज भी दो मुकदमा चल रहा है और मुकदमें मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पहल पर 7 मुकदमा खत्म हो गया है इतना ही नही मेरे भाई अक्कर मुसहर को भी हत्या के मामले में फर्जी केस फसाया गया था जो सात वर्ष तक जेल मे बन्द थे। आज भी मुकदमा चल रहा है अभी भी पुलिस वाले पूछताछ करने के लिए हमसे हमारे भाई के बारे में पुछते है और गाली गलौज तथा मारपीट करते है लेकिन जब से परियोजना शुरु हुआ तब से अब पुलिस वाले अच्छे से बातचीत करते है। नून्नों, बेइला, चन्दा, मुछुना वगैरह ने बताया कि अब हमारे बस्ती में पुलिस तभी आती है जब किसी घटना कि सूचना दि जाती है इसके पहले ऐसा नही था पुलिस वाले बिना सूचना के ही बस्ती में आते थे और घरों में घुस कर गाली देना, तलाशी लेना शुरु कर देते थे। लेकिन जब से परियोजना शुरु हुआ तो सूचना या आवेदन के बाद ही पुलिस आती है। उसका व्यवहार अब अच्छा रहता है जैसे पुलिस आने पर गाली नही देती। उचित कानूनी कार्यवाही करती है। भोनू, रन्नो, बिन्दु द्वारा बताया गया कि बस्त्ी में जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग आये इसके 1 वर्ष के बाद से धीरे-धीरे पुलिस का आना कम होता गया अब पुलिस आती भी है तो उसका व्यवहार अच्छा होता है जैसे पुलिस आने पर गाली नही देती। फर्जी केस नही करती है
समुदाय के लोग द्वारा जैसे बिन्दू बतायी कि हमारे गाँव में 100 नम्बर का इस्तेमाल दो लोग करते है। भोनू, रन्नों द्वारा किया गया तो पुलिस मौके पर आयी और पुलिस द्वारा उचित कार्यवाही की गयी जब से परियोजना शुरु हुआ तब से पुलिस वालों में काफी बदलाव आया है।
समुदाय द्वारा सामुहिक रुप से बैठक में बताया गया कि हमारे बस्ती में जब से परियोजना शुरु हुआ तब से आज तक पुलिस अधिकारी द्वारा जाँच पुरे ईमानदारी से किया जाता है। इसके पहले पुलिस वाले जाँच के लिए आते थे तो एकतरफा जाँच करके उल्टा मुकदमा हम लोगों के ऊपर लगाते थे लेकिन अब कही न कही पुलिस वाले हम लोगों से भी डरते है कि ईमानदारी से जाँच नही किया गया तो यह लोग दुर तक भी जा सकते है और जिसमें मेरी जवाबदेही हो सकती है। बिन्दू वंशू रन्नो भोनू मुडूना के लोग बताये कि पुलिस वाले क्ज्ञ वसु गाइड लाइन पालन आज भी नही करते है। आज भी थाने पर जाने पर पुलिस वाले गाली देते है रिर्पोट नही लिखते।
सुरेन्दर ने कहां कि अभी तक हमारे गाँव के 7 लोगों को पुलिस द्वारा घर से उठाकर मारते पिटते हुए, गाली गलौज करते हुए थाने लाया गया जिसमें 2 लोगों को सजा हुई और 5 लोगो को फसाँया गया है जिसमें परदेशी की मृत्यु हो गयी है और भोनू, अक्कर, मुरारी, दुन्नु, तेरस, मुन्नू, संतोष, मुंशी को पुलिस यातना दी गयी है।
भोनू के मर्डर के केस में पुलिस द्वारा मारा पीटा गया व फर्जी केस में फँसाया गया जिसमें 7 मुकदमा में बरी हो गये 2 मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन है।
अक्कर को मर्डर के केस में 7 साल की सजा हुई जो बिल्कुल निर्दोष थे। मुरारी को मन्दिर घण्टा की चोरी में पुलिस द्वारा फर्जी केस में फँसाया गया जबकि लोग निर्दोष थे इनको तीन दिन तक थाने में बन्द कर मारा पीटा गया चालान हुआ जमानत पर छुटे यह झंझौर के बच्चा सिंह का टैªक्टर चलाते थे जिसका मजदूरी बच्चा सिंह द्वारा नही दिया जाता था जब यह टैªक्टर चलाने से मना किया तो पुलिस से मिलकर इनके ऊपर फर्जी मुकदमा लगाया गया व पुलिस यातना दी गयी।
मोनू बताये कि हमारे गांव में जैेसे हत्या, चोरी के मामले मे पुलिस द्वारा 7 लोगों को फर्जी केस मे फँसाया गया जिसमें मोनू को हत्या, गैंस्टर इत्यादि में 9 केस में 26 महीने का जेल व वेल मंजूर के तहत आजीवन कारावास का सजा सुनाया गया जिसमें 5000 जुर्माना जमा किया गया। मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पहल पर 7 केस खत्म हुआ आज भी 2 केस चल रहा है। बाकी लोग जमानत कराकर तारीख पर जाते है
समुदाय के लोग बताये कि चन्दा, मुडुना, मंुशी, भीनू, रन्नो, वंशू, बिन्दू बिना डर भय के लोग थाने जाने लगे यह प्रक्रिया जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग बस्ती थाने पर जाने लगे अपनी शिकायत थाने में एस.एस.पी., डी.आई.जी. के यहां दर्ज कराने लगेे।
जब परियोजना शुरु हुआ था तब भी डर के मारे बस्ती के लोगो में पुलिस के भय से कोई भी समस्या को लेकर चैकी/थाने पर अपनी शिकायत लिखवाने कोई नही जाता था कि पुलिस कही हमको थाने में बन्द न कर दे लेकिन परियोजना के तहत लगातार समुदाय के समस्याओं पर पहल किया गया जिसमें लोगों को डर व भय खत्म हुआ और अब लोग थाने पर बिना भय के थाने पर जाकर अपना आवेदन देने लगे आवश्यकता पड़ने पर बस्ती के सभी लोग एकजुट होकर थाने पर जाते है।
समुदाय के रन्नों, अलीपारी, गीता, भोनू ने कहां कि जब परियोजना शुरु नही था तब पुलिस वालें जब बस्ती में आते थे तो महिलायें, बच्चों को भी गालियां देते थे लेकिन जब मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा लगातार काम किया गया तो पुलिस वालो का व्यवहार महिलाओं, बच्चों के साथ अच्छा रहता है।
बैठक में समुदाय के लोगो द्वारा बताया कि अगर हमारे बस्ती में कोई हादसा हो जाये तो अब जानकारी के तहत हम लोग बेहिचक थाने में जाकर पैरवी कर सकते है।
समुदाय के सुरेन्दर बंशू, भोनू, रन्नों बगैरह बताये कि आज 7 वर्ष पहले जब हम लोग थाने में जाते थे तो पुलिस वाले गाली देकर थाने से वाहर भगा देते थे। उनके द्वारा कोई सुनवाई नहीं कि जा रही थी लेकिन जब से मानवाधिकार जन निगरानी समिति द्वारा बस्ती में कार्य किया जाने लगा तब से पुलिस वाले थाने पर जाने पर वह शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस द्वार जाॅच कि जाती है और अब सुनवाई होन लगी है। समुदाय के बिन्दू जो दाये हाथ के विकलांग है बताये कि थाने पर तैनात सिपाही कर्मी द्वारा आज भी गलत व्यवहार किया जाता है उन्होने ने बताया कि सन 2014 में मेरे पिता बंशू मुसहर का तबियत खराब पर हाजिर न होने पर वारेन्ट आया था इसी मामले में पुलिस वाले मेरे पिता को पकड़कर थाने में बन्द किये थे। जब मैं अपने पिता को सुबह नाश्ता लेकर थाने गया तो गेट पर तैनात सिपाही कर्मी गाली देकर बाहर भगया दिया मुझे मेरे पिता से मिलने की बात तो अलग हे नाश्ता भी नहीं दिये। मेरे नाजर मे तैनात पुलिस वालो का व्यवहार अच्छा नहीं है साथ-साथ उन्होने यह भी बताया कि हमारे बस्ती में जब कोई घटना घटती है तो बस्ती है तो बस्ती की रन्नों, भोनू 100 नम्बर पर फोन करके घटना की सूचना दिये है। सूचना के आधार पर पुलिस वाले आते हैं और उनकीे द्वारा उचित कार्यवाही कि जाती है। साथ ही उन्होने बताया कि पुलिस वाले डी0 के0 गाइड लाइन का अनुपालन नहीं करते है। जैसे हम जानते है कि पुलिस वाले को मेडिकल गिरफ्तारी के समय कराना चाहिए थाने में गाली देते हैं मारते पीटते है सफाई करवाते है अच्छा खाना नहीं देते है। पीडि़त व्यक्ति से मिलने नही देते। जब कोई आवेदन लेकर थाने में जाना पढता है तो पैसा लेते है और पैसा ने देने पर कोई कार्यवाही नही कि जाती है। मेरे नजर से पुलिस वाले डी0 के बसु गाइड लाइन का पालन नहीं करते है।
बरसाती बताये कि आज के 10 साल पहले पुलिस वाले जब बस्ती में आते थे तो बस्ती के लोग पुलिस वालों के डर से घर छोड़कर भाग जाते थे कि कही ऊख के खेत रहर के खेत में छिपकर रहते थे और यही बात बस्ती के भोनू बताये कि बस्ती में जब पुलिस आती थी तो गाली गलौज भी देती थी लेकिन जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति बस्ती में काम करने लगी उसके 1 वर्ष के बाद से पुलिस के व्यवहार में काफी सुधार आया है।
मुंशी बताये कि जब मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग काम नही करते थे तो हम लोग अपने झोपड़़ी में सोये रहते थे तो पुलिस वाले आकर झोपड़ी में घुसकर चाहे पति या पत्नी का पैर मिलता था गाली देते हुए पैर पकड़कर झोपड़ी के बाहर खिच लेते थे और भद्दी- भद्दी गाली देकर औरतो से पुछते थे कि कहा भगा दि हो। मुंशी ने कहा कि अब पुलिस रोड़ पकड़कर आती जाती है लेकिन बस्ती में किसी को पकड़ते नही है। अब वह बस्ती मे आते है तो प्रेम से बातचीत करते है। भोनू ने कहाॅ कि 2 वर्ष पहले पुलिस वाले हमारे ऊपर फर्जी मुकदमा का केस कर दिये थे। घरसौना में राजभर बस्ती के व्यक्ति की हत्या हुई थी जिसमें फुलपुर थाने कि पुलिस रात में एक जीप सहित पुलिस वाले आये और बिना कुछ पुछे हमे गाली देते हुए घेर लिये जहां मै अपनी पत्नी के साथ सोया था रात के 12ः20 हो रहे थे। पुलिस वाले हमे इनकाउण्टर करने के लिए बहाना बनाकर घर से 2 किलोमीटर दुर कनकपुर ग्राम के सुनसान जगह पर एक पेड़ में बाधंकर बोले कि अक्कर कहाँ है अगर नही बताओगे तो गोली मार देंगे उस समय दरोगा बोला कि मेरी दुर्गा माँ एक मुसहर का बलिदान माँग रही है मै कोई चोर चाई या बदमाश नही था इसलिए मुझे उनकी बातो से डर नही लगा मैने कहा कि मै अक्कर को नही जानता हूँ की वह कहाँ रहता है इतना ही नही फुलपुर थाने के अलावा चोलापुर थाने की पुलिस मेरे ऊपर फर्जी मुकदमा लाद रही है वह भी हत्या के मामले में जबकि हत्या भोरट गाँव में गोविन्द पाल का हुआ था जिसके बारे में मै जानता भी नही था पुलिस वालो का यह सिलसिला लगातार 4-5 वर्षो तक चलता रहा जब हमारे बस्ती में मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा पहल किया गया तो पुलिस वालों केे व्यवहार में काफी बदलाव आया हैं उन्होने यह भी बताया कि मैं पुलिस वालों के झूठे व फर्जी केस के मामले में चैकाघाट जेल में 26 माह तक बन्द था मेरे ऊपर 9 मुकदमा फर्जी तरीके से लगाया गया था इसके अलावा गुण्ड़ा एक्ट लगाया गया आज भी दो मुकदमा चल रहा है और मुकदमें मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पहल पर 7 मुकदमा खत्म हो गया है इतना ही नही मेरे भाई अक्कर मुसहर को भी हत्या के मामले में फर्जी केस फसाया गया था जो सात वर्ष तक जेल मे बन्द थे। आज भी मुकदमा चल रहा है अभी भी पुलिस वाले पूछताछ करने के लिए हमसे हमारे भाई के बारे में पुछते है और गाली गलौज तथा मारपीट करते है लेकिन जब से परियोजना शुरु हुआ तब से अब पुलिस वाले अच्छे से बातचीत करते है। नून्नों, बेइला, चन्दा, मुछुना वगैरह ने बताया कि अब हमारे बस्ती में पुलिस तभी आती है जब किसी घटना कि सूचना दि जाती है इसके पहले ऐसा नही था पुलिस वाले बिना सूचना के ही बस्ती में आते थे और घरों में घुस कर गाली देना, तलाशी लेना शुरु कर देते थे। लेकिन जब से परियोजना शुरु हुआ तो सूचना या आवेदन के बाद ही पुलिस आती है। उसका व्यवहार अब अच्छा रहता है जैसे पुलिस आने पर गाली नही देती। उचित कानूनी कार्यवाही करती है। भोनू, रन्नो, बिन्दु द्वारा बताया गया कि बस्त्ी में जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग आये इसके 1 वर्ष के बाद से धीरे-धीरे पुलिस का आना कम होता गया अब पुलिस आती भी है तो उसका व्यवहार अच्छा होता है जैसे पुलिस आने पर गाली नही देती। फर्जी केस नही करती है
समुदाय के लोग द्वारा जैसे बिन्दू बतायी कि हमारे गाँव में 100 नम्बर का इस्तेमाल दो लोग करते है। भोनू, रन्नों द्वारा किया गया तो पुलिस मौके पर आयी और पुलिस द्वारा उचित कार्यवाही की गयी जब से परियोजना शुरु हुआ तब से पुलिस वालों में काफी बदलाव आया है।
समुदाय द्वारा सामुहिक रुप से बैठक में बताया गया कि हमारे बस्ती में जब से परियोजना शुरु हुआ तब से आज तक पुलिस अधिकारी द्वारा जाँच पुरे ईमानदारी से किया जाता है। इसके पहले पुलिस वाले जाँच के लिए आते थे तो एकतरफा जाँच करके उल्टा मुकदमा हम लोगों के ऊपर लगाते थे लेकिन अब कही न कही पुलिस वाले हम लोगों से भी डरते है कि ईमानदारी से जाँच नही किया गया तो यह लोग दुर तक भी जा सकते है और जिसमें मेरी जवाबदेही हो सकती है। बिन्दू वंशू रन्नो भोनू मुडूना के लोग बताये कि पुलिस वाले क्ज्ञ वसु गाइड लाइन पालन आज भी नही करते है। आज भी थाने पर जाने पर पुलिस वाले गाली देते है रिर्पोट नही लिखते।
सुरेन्दर ने कहां कि अभी तक हमारे गाँव के 7 लोगों को पुलिस द्वारा घर से उठाकर मारते पिटते हुए, गाली गलौज करते हुए थाने लाया गया जिसमें 2 लोगों को सजा हुई और 5 लोगो को फसाँया गया है जिसमें परदेशी की मृत्यु हो गयी है और भोनू, अक्कर, मुरारी, दुन्नु, तेरस, मुन्नू, संतोष, मुंशी को पुलिस यातना दी गयी है।
भोनू के मर्डर के केस में पुलिस द्वारा मारा पीटा गया व फर्जी केस में फँसाया गया जिसमें 7 मुकदमा में बरी हो गये 2 मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन है।
अक्कर को मर्डर के केस में 7 साल की सजा हुई जो बिल्कुल निर्दोष थे। मुरारी को मन्दिर घण्टा की चोरी में पुलिस द्वारा फर्जी केस में फँसाया गया जबकि लोग निर्दोष थे इनको तीन दिन तक थाने में बन्द कर मारा पीटा गया चालान हुआ जमानत पर छुटे यह झंझौर के बच्चा सिंह का टैªक्टर चलाते थे जिसका मजदूरी बच्चा सिंह द्वारा नही दिया जाता था जब यह टैªक्टर चलाने से मना किया तो पुलिस से मिलकर इनके ऊपर फर्जी मुकदमा लगाया गया व पुलिस यातना दी गयी।
मोनू बताये कि हमारे गांव में जैेसे हत्या, चोरी के मामले मे पुलिस द्वारा 7 लोगों को फर्जी केस मे फँसाया गया जिसमें मोनू को हत्या, गैंस्टर इत्यादि में 9 केस में 26 महीने का जेल व वेल मंजूर के तहत आजीवन कारावास का सजा सुनाया गया जिसमें 5000 जुर्माना जमा किया गया। मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पहल पर 7 केस खत्म हुआ आज भी 2 केस चल रहा है। बाकी लोग जमानत कराकर तारीख पर जाते है
समुदाय के लोग बताये कि चन्दा, मुडुना, मंुशी, भीनू, रन्नो, वंशू, बिन्दू बिना डर भय के लोग थाने जाने लगे यह प्रक्रिया जब से मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग बस्ती थाने पर जाने लगे अपनी शिकायत थाने में एस.एस.पी., डी.आई.जी. के यहां दर्ज कराने लगेे।
जब परियोजना शुरु हुआ था तब भी डर के मारे बस्ती के लोगो में पुलिस के भय से कोई भी समस्या को लेकर चैकी/थाने पर अपनी शिकायत लिखवाने कोई नही जाता था कि पुलिस कही हमको थाने में बन्द न कर दे लेकिन परियोजना के तहत लगातार समुदाय के समस्याओं पर पहल किया गया जिसमें लोगों को डर व भय खत्म हुआ और अब लोग थाने पर बिना भय के थाने पर जाकर अपना आवेदन देने लगे आवश्यकता पड़ने पर बस्ती के सभी लोग एकजुट होकर थाने पर जाते है।
समुदाय के रन्नों, अलीपारी, गीता, भोनू ने कहां कि जब परियोजना शुरु नही था तब पुलिस वालें जब बस्ती में आते थे तो महिलायें, बच्चों को भी गालियां देते थे लेकिन जब मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा लगातार काम किया गया तो पुलिस वालो का व्यवहार महिलाओं, बच्चों के साथ अच्छा रहता है।
बैठक में समुदाय के लोगो द्वारा बताया कि अगर हमारे बस्ती में कोई हादसा हो जाये तो अब जानकारी के तहत हम लोग बेहिचक थाने में जाकर पैरवी कर सकते है।