Sunday, August 12, 2012

Invitation​:A demonstrat​ion at Naugarh,Ch​andauli against forceful eviction by forest department

प्रिय साथी,
वन विभाग लगातार कई पीढ़ियों से बसे आदिवासी दलितों व मजदूरों को चंदौली के नौगढ़ क्षेत्र उजाड़ रहा है | इस पर मनोवैज्ञानिक व कानूनी मदद के लिए ग्राम्या संस्थान लगातार संघर्ष कर रही है | मानवाधिकार जन निगरानी समिति के माध्यम से ग्राम्या ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में अनेकों मामले उठे हैं | मजदूर किसान मोर्चा 14 अगस्त, 2012 को 12 बजे नौगढ़ में एक प्रदर्शन व सभा कर रहा है | जिसका परचा संलग्न है | अधिक जानकारी के लिए माननीया बिन्दु सिंह ( 09415222597) से संपर्क करें |
कृपया अपने संस्थान व संगठन से प्रतिनिधि भेज कर गरीब मजदूरों के अधिकार के लिए अपनी एकजुटता प्रदर्शित करें |
आपका साथी 
लेनिन

वन विभाग के मनमानी के खिलाफ धरना / प्रदर्शन

आजादी के 65 वर्षों के बाद भी चन्दौली जनपद के नौगढ़ विकास खण्ड निवासी आज भी गुलाम हंै। जहाँ संविधान में सभी नागरिकों को समान रुप से जीने का अधिकार दिया गया है वहीं चन्दौली के नौगढ विकास खण्ड में आज भी दोयम दर्जे की स्थिति बरकरार है। जंगल आदिवासियों व जंगल में निवास करने वालों के जीवन का आधार है। इसी को आधार बनाकर आदिवासी व जंगल में रहने वाले लोगों ने लड़ाई लड़ी व संघर्ष किया, फलस्वरुप सरकार ने 2006में एक कानून बनाया और यह कानून वनाधिकार अघिनियम 2006 कहलाया। इस कानून को बनने के लिए विस्तृत सलाह मशविरा किया गया जंगल में रहने वाले, जंगल के अधिकार के लिए संषर्घ करने वाले और कानूनविदों ने लम्बी बातचीत के बाद इस कानून को आखिरी रुप दिया। कानून को लागू करते हुए सरकार ने कहा जंगल पर निर्भर लोगों के साथ लम्बे समय से नाइंसाफी हो रही हैं यह कानून इस नाइंसाफी को कम करेगा। ग्राम वनाधिकार समितियां बनाई गई तथा दावे पेश किये गये परन्तु अभी तक उन दावों का निस्तारण नहीं हो पाया है जबकि सरकार गरीबों को जबरियन बेदखली का फरमान जारी कर रही है।

उ0प्र0 सरकार ने वनाधिकार अधिनियम 2006 को लागू करने का आदेश 2007 में जारी किया जबकि चन्दौंली जिले में सतत् संघर्ष के बाद फरवरी 2009 में लागू किया गया। तत्कालीन जिलाधिकारी ने 16 नवम्बर 2009 को चैपाल लगाकर विशेसरपुर (भरदुआ) गांव में वनाधिकार समिति का गठन करवाया था जबकि 29 जून 2012 को उसी गांव के गरीबों, दलितों एवं वन वासियों के घरों को वन विभाग ने पुलिस की मदद से तोड़ दिया। आये दिन लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं घरों में जाकर सामानों को नष्ट किया जा रहा है। महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किये जा रहे हैं। वहीं भू माफिया या बड़े लोग जो पक्के घरों या जमीनों के बड़े हिस्सों पर काबिज है उन्हंे छूआ तक नहीं जाता है।

साथियों, अब वक्त आ गया है अपना हिसाब मांगने का, अपनी लड़ाई लड़ने का। हमें हमारी जमीनों से बेदखल न किया जाय।

मांग-

o जमीनों के दावों का निस्तारण वनाधिकार अधिनियम, 2006 अविलम्ब किया जाय।
o आदिवासियों, दलितों तथा मजदूर बस्तियों को उजाड़ने से तुरन्त रोका जाय।
o बड़ों को छोड़कर गरीबों को सताना बन्द किया जाय। वनाधिकार अधिनियम, 2006 व संविधान में समान अधिकार के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति व अन्य परम्परागत लोगों के साथ न्यायोचित व्यवहार वन विभाग द्वारा किया जाय।

आयोजक- मजदूर किसान मोर्चा, मनरेगा मजदूर यूनियन, नौगढ़, चन्दौली,



निवेदक- मानवाधिकार जन निगरानी समिति, इंसाफ, डायनैमिक एक्शन ग्रुप (डग), संघर्ष संवाद, पी0यू0सी0एल0, उ0प्र0ग्रामीण एवं खेतिहर मजदूर यूनियन,